फेल हुई म प्र के जनसंपर्क विभाग की जिला वेबसाइटें , समाचार में आने वाले फोटो एक्सेसेबल नहीं , न बड़े करके देखे जा सकतें हैं ओर न डाउनलोड किये जा सकते हैं
म प्र शासन के जनसंपर्क विभाग की जिला वेबसाइटें टेक्नीकली अनफिट स्टाफ के कारण पूरी तरह से रोजाना ही फेलुअर हो रहीं हैं , श्योपुर , ग्वालियर , भिण्ड आदि तमाम जिलों की जनसंपर्क विभाग की वेबसाइटों की हालत बेहद खस्ता है ।
हालांकि इस वेबसाइट पर जनसंपर्क विभाग तो रोजाना अपने समाचार अपडेट करता है लेकिन , वेबसाइट को आपरेट करने वाले और होस्टिंग सर्वर व डाटाबेस सर्वर पर जगह बचाने और म प्र सरकार को चूना लगाने की गरज से , वेबसाइट को मेंटैन कर रहे लोगों के कारण इस वेबसाइट की दिनोंदिन हालत खस्ता होती चली जा रही है ।
प्रायवेट डोमेन पर होस्ट होती है वेबसाइट - सरकारी वेबसाइटों के डोमेन सभी .gov के TLD साथ ही आते हैं लेकिन यह वेबसाइट इसके बगैर सीधे ही .org के TLD के साथ चलती है , जाहिर है इसलिये इसका होस्टिंग और डाटाबेस सर्वर दोनों ही प्रायवेट हैं ।
फिर भी किसी सरकारी विभाग की वेबसाइट चलाने के लिये मुकम्मल तकनीकी ज्ञान व प्रौद्योगिकी परम आवश्यक है , वेबसाइट की परफार्मेन्स से एकदम बिना शक स्पष्ट है कि इस वेबसाइट को आपरेट कर रहे लोगों के पास न तो मुकम्मल टेक्नीकल ज्ञान है और न पर्याप्त प्रौद्योगिकी की सुविधायें । या फिर जम कर पेसा कमाने का लोभ लालच भरा हुआ है जो एक सरकारी वेबसाइट के लिये एक इफीशियेंट एप्लीकेशन / एप्लीकेशंस और होस्टिंग सर्वर और डाटाबेस सर्वर का इस्तेमाल नहीं कर सकता । और जगह बचाने के लिये जिलों के फोटोग्राफ्स तक को आइकानिक मात्र में व्यू अपलोड होने देता है और उस इमेज की डिटेल्स व्यू को सर्वर पर आने ही नहीं देता , डाटाबेस की क्वालिटी इतनी अधिक खराब है कि बीच बीच में ही डाटाबेस सर्वर डंप होकर गायब होता रहता है और वेबसाइट से कनेक्शन टूटता रहता है ।
वीडियो नाम की चीज तो कभी भी आज तक जिलों की इन वेबसाइटों पर कभी नजर ही नहीं आई । न कभी कोई वीडियो किसी भी जिले से आज तक अपलोड ही हुआ है ।
सबसे बड़ी खामी इस वेबसाइट की
इस वेबसाइट की सबसे बड़ी खामी है कि हर जिला जनसंपर्क कार्यालय तो रोजाना समाचार अपडेट करता है लेकिन इस वेबसाइट का फीड कहीं पर भी उपलब्ध नहीं है , इसलिये इसके समाचार केवल इसी तक ही रह जाते हैं और आटोमेटिकली ही सारे देश में हर जगह प्रकाशित और प्रचारित प्रसारित नहीं हो सकते ।
मध्यप्रदेश सरकार की जनसंपर्क विभाग की संचालनालय से चलने वाली राज्य स्तरीय वेबसाइट जहां फीड भी साथ ही प्रकाशित करता है तो इसके ठीक उलट जिला स्तरीय वेबसाइट कभी भी किसी प्रकार का फीड प्रकाशित नहीं करती । यही वजह है कि ग्वालियर टाइम्स की हर वेबसाइट पर राज्य जनसंपर्क संचालनालय के समाचार सीधे ही संचालनालय से आटोमेटिक प्रकाशित होते हैं और अपने आप ही आटोमेटिकली अपडेट भी होते रहते हैं । फीड के अभाव में भारत तो क्या विश्व की कोई भी वेबसाइट या न्यूज चैनल इनका आटो अपडेट कभी नहीं प्राप्त कर सकता । इसलिये बहारहाल आदिम युग की व्यवस्था इस वेबसाइट पर आज तक चल रही है , जब समाचार किी जिले का आये तब हर वक्त इस वेबसाइट को खोलो , समाचार पढ़ो उसके बाद एक एक समाचार को अलग अलग से लो फिर अपनी वेबसाइट / न्यूज चैनल पर चिपकाते जाओ , मतलब महज 10 सेकंंड का काम आप 23 घंटे में करेंगें , और उसमें भी केवल दस जिलों से अधिक के समाचार किसी भी दशा में कोई भी न्यूज पोर्टल या न्यूज चैनल कभी लगा ही नहीं सकता ।
यदि इस वेबसाइट पर फीड उपलब्ध होता तो पूरे म प्र के सभी के सभी 54 जिलों के समाचार / फोटो / वीडियो वगैरह वगैरह सभी के सभी अपने आप ही , उस जिले द्वारा समाचार/फोटो/ वीडियो आदि आदि अपलोड करने के महज दस सेकंड के भीतर केवल भारत ही नहीं बल्कि विश्व के न्यूज पोर्टलो और न्यूज चैनलों पर अपने आप अपडेट होते रहते , न किसी को बार यहां एक एक जिले का एक एक समाचार और एक एक अक्षर लेकर अपने मीडिया में लगाना पड़ता और हर वक्त 24 घंटे किसी को इंटरनेट पर केवल एक दो तीन दस जिलों का समाचार लेना और लगाना पड़ता । केवल एक इस छोटी सी टेक्लानाजी से आज समूचे विश्व भर का मीडिया चल रहा है , ओर शायद ही भारत में कोई भी मीडिया हाउस होगा जो बगैर फीड के चलता होगा , भारत के सभी मीडिया हाउस के सभी न्यूज पोर्टल और न्यूज चैनल इसी फीड का उपयोग कर अपने यहां दिखाते हैं और सारे समाचार अपने आप ही हर मीडिया में भारत भर के अपडेट होते रहते हैं , यही वजह है कि सबकी सारी खबरें भारत का पूरा मीडिया प्रकाशित करता और दिखाता है , लेकिन म प्र के किसी भी जिले की कोई भी सरकारी खबर दिखाने के लिये या तो उसे अपना करसपोंडेंट हर जिले में नियुक्त कर उससे खबर अपडेट लेनी होगी और वह भी दिन भर में या हफ्ते पंद्रह दिन में कोई एक ब्रेकिंग खबर अपडेट करेगा , लेकिन रोजाना हर जिले का हर समाचार कहीं प्रकाशित हो या प्रसारित हो इसके लिये फीड होना वेबसाइट पर परम आवश्यक है , तब फिर किसी भी जिला संवाददाता की मनमर्जी पर खबर आधारित व आश्रित नहीं होती और अपने आप हर जगह अपडेट होती रहती है ।
सन 2007 से 2009 तक यह जिलों की यह वेबसाइट बनाने और चलाने का ऑफर ग्वालियर टाइम्स को सबसे पहले दिया था , जनसंपर्क संचालनालय ने
जनसंपर्क विभाग की जिलों की यह वेबसाइट बनाने का और चलाने का सबसे पहला शुरूआती ऑफर ग्वालियर टाइम्स को जनसंपर्क संचालनालय भोपाल के अधिकारीयों द्वारा सन 2007 में दिया गया था , ग्वालियर टाइम्स के पास यह ऑफर सन 2009 तक पेंडिंग रहा , अंतत: समय की कमी के कारण ग्वालियर टाइम्स ने इसे रिफ्यूज कर दिया, उसके उपरांत यह वेबसाइट किसी अन्य के माध्यम से जनसंपर्क संचालनालय ने तैयार कराई और चलवाई । प्रश्न इस बात का नहीं है कि किसने बनाई और चलाई और कौन मैंटेन कर रहा है, सवाल केवल बस इतना सा है कि जब पैसा ले रहे हो , पैसा लिया है तो काम भी उसी क्वालिटी का करके दो । हमें तो उस समय जनसंपर्क संचालनालय पूरे राज्य के लिये करोड़ों रूपये पहली साल और फिर लाखों रूपये हर जिले के मान से हर साल देने को तैयार था ।
इसलिये नुकसान तो घुमा फिरा कर म प्र सरकार का ही है । इसलिये जो भी सज्जन इसे चला रहे हैं , लोभलालच और मक्कारी छोड़ें वरना , आधी और के चक्कर में पूरी ही हाथ से निकल जायेगी , हमसे कुछ मार्गदर्शन चाहिये तो अपने लोगों को भेज दो हम दो तीन महीने की ट्रेनिंग दे देंगें ।
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