चम्बल एक्सप्रेस वे लायेगा चम्बल में विश्वस्तरीय औद्योगिक कॉरीडोर , चम्बल भारत के केन्द्र बिन्दु में यहां का उत्पाद समूचे भारत में समान व सही मार्केेटिंग करेगा

 चम्बल का भारत के सेंट्रल पाइंट पर होना एक ऐसी विशेषता है कि जो दुर्लभ व अद्वितीय है , भारत की अन्य किसी जगह में यह विशेषता नहीं । इसी वजह से महर्षि महेश योगी अपना विश्वविद्यालय चम्बल में खोलना चाहते थे , वैदिक विश्वविद्यालय की परियोजना उच्च शिक्षा विभाग म प्र में इसी तरह महर्षि महेश योगी ने दाखिल भी की थी । मगर तत्कालीन तत्समय उच्च शिक्षा मंत्री मुकेश नायक ने महर्षि महेश योगी की राह में अड़बंगे और अड़चनें डाल कर उनका चम्बल में वैदिक विश्वविद्यालय का प्रोजेक्ट लटका दिया । योगी हार थक कर मुकेश नायक की शर्तों के सामने आखिरकार मन मार कर झुक गये और मुकेश नायक की शर्तों के मुताबिक इसे जबलपुर ले गये , तब कहीं जाकर महर्षि महेश योगी अपना वैदिक विश्वविद्यालय खोल पाये , हालांकि नाभि स्थल जहां चम्बल में योगी इसे खोलना चाहते थे , जबलपुर जाकर पूरे विश्वविद्यालय का तेज ही समाप्त हो गया, सारा वैभव और इच्छाशक्ति ही खो बैठा । स्थान के इस चम्त्कार को महर्षि महेश योगी जानते थे , हालांकि मुकेश नायक का भी राजनीतिक पराभव हो गया लेकिन चम्बल से एक चमत्कारिक चीज चली गयी , और उस चमत्कारी चीज ने भी जबलपुर जाकर खुद को खो दिया । 

कुल मिला कर चम्बल सेट्रलाइज्ड और फोकस्ड प्लेस है, कोई भी चीज जो यहां से होती है , पूरे देश में सबसे अधिक तेजी से और व्यापक रूप से फैल जाती है । भारत के पूर्व ,पश्चिम , उत्तर दक्षिण और बाकी चार दिशाओं से अगर दिशाओं को मिलाती रेखा खींची जाये तो उसका क्रास पाइंट यहां चम्बल में आता है । इसीलिये चम्बल का विशेष महत्व है , ज्यामितीय दृष्टि से इसकी भौगोलिक स्थिति इस प्रकार की है कि इतिहास यहां खुद को रचता है । चम्बल वैसे तो महाभारत कालीन और त्रेता युग की ऐतिहासिक साइट है । लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि यही वह स्थान हे जहां शकुंतला और दुष्यंत के पुत्र भरत का जन्म हुआ और जिसके नाम पर इस देश का नाम भारत हुआ । गुढ़ा चंबल नामक स्थान पर आज भी उनके खंडहर मौजूद हैं । जिला पुरातत्व अधिकारी अशोक शर्मा के मुताबिक पहले चंबल नदी गुढे के किले की तलहटी में बहती थी , अब वहां से चम्बल करीब 250-300 मीटर दूर खिसक गयी है , महाराजा शांतनु , और बाद में महारजा दुष्यंत , उसके बाद महाराजा भरत इस चंबल में अपनी अपनी महारानी के साथ नौका विहार किया करते थे । 

महाभारत के अनुसार चम्बल क्षेत्र से इराक ईरान तक चंद्रवंशी जादौन राजपूतों का राज्य क्षेत्र रहा है । 

औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन मंत्री श्री राजवर्धन सिंह ने कहा है कि आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के रोडमेप-2023 के अंतर्गत प्रदेश में विश्वस्तरीय औद्योगिक अधोसंरचना के विकास तथा मध्यप्रदेश को सबसे पसंदीदा व्यापार स्थल के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य है। इसी दिशा में चम्बल प्रोग्रेस-वे और नर्मदा एक्सप्रेस-वे की निकटता वाले क्षेत्रों में विशेष रूप से एमएसएमई के लिये विश्वस्तरीय औद्योगिक कोरीडोर के रूप में विकसित किये जाने की योजना है इसके लिये 2000 एकड़ भूमि पार्सल में 5 औद्योगिक नोड्स में विकसित की जाएगी। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों से प्रदेश में लगभग एक हजार करोड़ के निवेश को आकर्षित किया जा सकेगा जो अगले पाँच वर्षों में लगभग 20 हजार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा करेगा।

मंत्री श्री दत्तीगाँव ने कहा कि आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश रोडमैप के तहत प्रत्येक जिले के लिये एक औद्योगिक/ पारम्परिक उपज की पहचान की जा रही है। उन्होने कहा कि चिन्हित उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये योजनाएँ तैयार की जायेगी और उन्हें क्रियान्वित किया जायेगा। उन्होंने कहा कि इन औद्योगिक उत्पादनों की देशव्यापी ब्राँडिंग भी की जायेगी। रक्षा क्षेत्र, उत्पादन, रासायनिक उद्योग, चमड़े एवं गैर चमड़ा उद्योग, बैट्री भंडारण, परिधान और वस्त्र आदि के लिये अगले वर्षों में नये औद्योगिक कलस्टर को चिन्हित कर विकसित किया जायेगा।

मंत्री श्री दत्तीगाँव ने कहा कि प्रदेश में औद्योगिक निवेश को आकर्षित करने के लिये कई ठोस कदम उठाये गये हैं। जिनमें सबसे महत्वपूर्ण कदम के रूप में 30 दिवस में व्यवसाय शुरू करने के लिये विभिन्न प्रक्रियाओं का सरलीकरण किया गया है तथा ऑनलाइन व्यवस्था लागू की गई है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा उठाये गये इन्हीं प्रयासों के कारण राज्य व्यवसाय सुधार कार्य-योजना वर्ष 2019 की मध्यप्रदेश को 'ईज ऑफ डूईंग बिजनेस' वाले राज्यों की सूची में चौथी रैकिंग प्रदान की गई है।

मंत्री श्री दत्तीगाँव ने कहा कि प्रदेश में उद्योगों की स्थापना हेतु भूमि उपलब्धता, नर्मदा जल की उपलब्धता, विद्युत अधिशेष, लगभग नगण्य श्रम अशांति घटनाएँ, प्रख्यात कौशल संस्थाओं की उपस्थिति एवं बेहतरीन अधोसंरचना की उपलब्धता के कारण मध्यप्रदेश में भारत के मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की अपार संभावनाएँ हैं। मध्यप्रदेश ऑटो सेक्टर, खाद्य प्रसंस्करण, कपड़ा एवं परिधान, रक्षा क्षेत्र, लॉजिस्टिक और भंडारण उद्योगों के लिये उपयुक्त है।    

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