नवीन कृषि कानूनों से किसान बनेंगे उद्योगपति, न मण्डी बंद होगी, न एमएसपी - मंत्री पटेल
खबर में बार बार विधेयक शब्द आया है , जब संसद में या विधानसभा या विधान परिषद में किसी कानून को पारित होने के लिये ड्राफ्ट रखा जाता है तो उसे बिल या विधेयक कहते हैं , यह प्रस्तावित कानून होता है , संसद या विधायिका से पारित होने के बाद यह राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद काूनन बन जाता है और अधिनियम या एक्ट कहलाता है , यह कानून संसद के दोनों सदनों से पारित हो चुके हैं तथा राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षर किये जा चुके हैं , लिहाजा अब यह बिल या विधेयक नहीं तीनों ही कानून अर्थात अधिनियम हैं , यह समाचार इसी दृष्टिकोण से पढ़ा जाये , संभवत: या तो मंत्रालय स्तर से जारी प्रेस नोट में या फिर जनसंपर्क संचालनालय म प्र स्तर से त्रुटिपूर्वक इसमें अधिनियम के स्थान पर बार बार विधेयक शब्द इस्तेमाल किया गया है
किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री श्री कमल पटेल ने कहा है कि नवीन कृषि विधेयक किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लेकर आयेंगे। इन विधेयकों से किसान अब खेती के साथ-साथ कृषि आधारित उद्योग धंधे स्वयं स्थापित कर सकेंगे। वे कृषि के साथ-साथ उद्योग भी लगायेंगे और चलायेंगे। उन्होंने कहा है कि आम किसान बंधुओं को भ्रमित नहीं होना चाहिये। विधेयकों के कारण मण्डियाँ बंद नहीं होंगी, बल्कि उन्हें आदर्श और स्मार्ट मण्डी बनाया जायेगा। किसी प्रकार से भी फसलों की खरीदी संबंधी एमएसपी को समाप्त नहीं किया जायेगा।
मंत्री श्री पटेल ने कहा कि आजादी के बाद से ही किसान बरसों-बरस कर्जदार रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान कृषि को लाभ का धंधा बनाने और किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिये कृत-संकल्पित हैं। नवीन तीनों कृषि विधेयक इसी का परिणाम हैं। इन विधेयकों के आने के बाद किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण के द्वार खुले हैं। अब किसान अपनी उपज को घर बैठे जहाँ अधिकतम दाम मिलेगा, वहाँ विक्रय के लिये स्वतंत्र रहेंगे। किसानों को अधिकतम लाभ मिले, इसके लिये कृषि उत्पादक समूह बनाये जायेंगे। मध्यप्रदेश में प्रत्येक विकासखण्ड में 2-2 कृषि उत्पादक समूह गठित किये जा रहे हैं।
मण्डियाँ स्मार्ट होंगी, बंद नहीं
मंत्री श्री पटेल ने कहा कि किसानों को भ्रमित नहीं होना चाहिये। नवीन विधेयकों के आने से कृषि उपज मण्डियों को और अधिक स्मार्ट बनाये जाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि कृषि उपज मण्डियों का उन्नयन किया जायेगा। उन्हें आधुनिक बनाया जायेगा। मण्डियों में किसानों को अधिकतम सुविधाएँ उपलब्ध कराई जायेंगी। मण्डियों में ही किसानों को गुणवत्तापूर्ण खाद, बीज और दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित की जायेगी। मण्डियों में पेट्रोल पम्प भी स्थापित किये जायेंगे। किसानों के लिये मिलेट्री की तरह ए-क्लास कैंटीन की सुविधा उपलब्ध कराई जायेगी।
किसान तय करेंगे उपज का मूल्य : उपज एमएसपी नहीं एमआरपी पर बेचेंगे
मंत्री श्री पटेल ने कहा कि नवीन विधेयकों ने किसानों को इतनी स्वतंत्रता प्रदान की है कि वे स्वयं अपनी उपज का मूल्य तय करेंगे। किसान मिनिमम सपोर्ट प्राइज (एमएसपी) पर ही नहीं, बल्कि मेक्सिमम रिटेल प्राइज (एमआरपी) पर अपने उत्पादों का विक्रय करेंगे। वे स्वयं तय करेंगे कि उन्हें अपनी उपज को कब, कहाँ और किस तरह विक्रय करना है। किसान अपनी मर्जी के मालिक रहेंगे। वे फसलों को अपने घर से भी बेच सकते हैं, खलिहान से बेच सकते हैं या अपने खेत से बेच सकते हैं। वे अपनी फसलों को मण्डी में बेच सकते हैं या मण्डी से बाहर भी बेच सकते हैं। उन्हें अपनी उपज के निर्यात की भी स्वतंत्रता प्रदान की गई है।
उद्योगपति बनेंगे किसान
मंत्री श्री पटेल ने कहा कि ग्रामीणों को 24 अप्रैल, 2020 को मिले मालिकाना हक से अपनी सम्पत्ति के आधार पर उद्योग धंधों के लिये शासकीय योजनाओं में ऋण प्राप्त करने की पात्रता मिल गई है। अब किसान कृषि से संबद्ध उद्योग धंधे स्थापित कर सकेंगे। वे स्वयं कोल्ड-स्टोरेज, वेयर-हाउस, फूड-प्रोसेसिंग प्लांट और अन्य उद्योग लगायेंगे। किसान कृषि आधारित उद्योग धंधों में भी रोजगार उपलब्ध कराने में अपनी अग्रणी भूमिका निभायेंगे।
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