हाय मुरैना तेरी यही कहानी , शहर हुआ बेहड़ से बदतर और नहीं पीने लायक पीने का पानी, जनम भर रहे रिजर्व दलित बस यही कहानी
नहीं हटा बरसों से लगा अभिशाप मुरैना नगर निगम पर , शोभाराम बाल्मीकि के अध्यक्ष कार्यकाल से अब तक लगातार दलित के लिये आरक्षित चली आ रही फिर से दलित मेयर के लिये रिजर्व हुयी
हाय मुरैना तेरी यही कहानी , शहर हुआ बेहड़ से बदतर और नहीं पीने लायक पीने का पानी
नरेन्द्र सिंह तोमर '' आनन्द''
मुरैना शहर और नगर निगम के दिन फिरते नजर नही आ
रहे हैं ,
दशकों से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के शासन काल में शुरू
हुये नगरपालिका और नगरनिगम चुनावों के वक्त से लगातार दलितों के लिये रिजर्व चला आ
रहा मुरैना नगर निगम ( पहले नगर पालिका अब नगर निगम ) का मेयर ( महापौर पहले नपा
अध्यक्ष ) का रिजर्वेशन मुरैना के लिये ऐतिहासिक बन गया है और स्थाई रूप से दलितों
के लिये आरक्षित हो गया है , उल्लेखनीय है कि पूर्व
मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सत्ता में आते ही दशकों से बंद पड़े नगरीय निकायों
के चुनाव दोबारा शुरू कराये थे , उस समय नगरपालिका अध्यक्ष
का पद दलित के लिये आरक्षित किया गया था , इस वक्त मुरैना
नगरपालिका के पहले अध्यक्ष शोभाराम बाल्मीक बने थे । खैर शोभाराम बाल्मीक तो बहुत
सीधे सच्चे और ईमानदार अध्यक्ष रहे सो नगरपालिका ठीक ठाक और अच्छी तरह चला ले गये
। इसीलिये फिर उन्हें किसी भी भ्रष्ट नेता ने टिकिट नहीं दिया और ऐसे लोगों को
राजनीति में भ्रष्ट लोग ठौर और मुकाम देते भी नहीं है ।
इसके बाद नगरपालिका के लगातार तमाम
चुनाव हुये मगर लगातार नगरपालिका अध्यक्ष का पद दलित के लिये ही रिजर्व ही रहा ।
कभी दलित पुरूष तो कभी दलित महिला । सन 1993 से लेकर सन 2026 तक , यानि कि इतिहास से लेकर भविष्य तक मुरैना
नगरनिगम के मेयर ( महापौर ) केवल एक ही जाति विशेष दलित के लिये आरक्षित कर दिया
गया है । स्पष्ट है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये नगरीय निकायों में फ्लोटिंग
आरक्षण को मध्यप्रदेश सरकार ने और राजनेताओं ने ताक पर धरकर, मुरैना में केवल एक ही जाति वर्ग दलित के लिये स्थाई आरक्षण कर दिया है ।
उल्लेखनीय है कि इस समय दलित मेयर अशोक
अर्गल वर्तमान ( अब निवर्तमान) मुरेना नगर निगम के मेयर थे । अब दोबारा यह पद दलित
महिला के लिये आरक्षित कर दिया गया है , जाहिर है कि मध्यप्रदेश सरकार
और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मंशा न तो भ्रष्टाचार को खत्म करने की है और
न उजागर करने की ।
दलितों के कंधे पर रखकर भ्रष्टाचार ही
नहीं बल्कि अंधेरगर्दी और फर्जीवाड़े के जितने काले कारनामे किये जाते हैं यह किसी
से छिपा नहीं है ,
मुरैना नगर निगम में अरबों रूपये का फर्जीवाड़ा , भ्रष्टाचार और काली कमाई के अलावा जितना मुरैना शहर का कबाड़ा अकेले मेयर
अशोक अर्गल के कार्यकाल में हुआ उतना तो शायद पूरे मुरैना जिला में कहीं भी कभी भी
नहीं हुआ । जाहिर है कि अशोक अर्गल के कार्यकाल में हुये भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े
के काले कारनामों को दबाने और छिपाने का
काम अकेला कोई दलित ही कर सकता है और अन्य कोई भी नहीं , जिसमें
समूची की समूची केवल सीवर लाइन ही नहीं खा ली गई ,बल्कि
सड़कों की खुदाई से लेकर , भराई तक , रिपेयरिंग
और मैंटीनेंस , घटिया
गुणवत्ता की नयी सड़कें बनवानें से लेकर जनता की नासुनवाई और , पीने के पानी की सप्लाई से लेकर स्ट्रीट लाइटों तक, बिना
बेस प्लेटफार्म बिछाये और बिना सपोर्टिंग वाल बनाये घरों में लगाये जाने वाले
प्लास्टिक के पानी पाइपों से सीवर लाइन बनाने का करिश्मा कर देने ( सीवर लाइन के
मंजूरशुदा प्रोजेक्ट में स्पष्ट लिखा है और मंजूरशुदा ड्राइंग में बेस प्लेटफार्म
और सपोर्टिंग वाल हर सीवर लाइन में बनाईं जायेंगी, मगर कहीं
नहीं बनाईं गईं और सीमेंट पाइप न्यूनतम साइज 375 तक के डाले
जायेंगे मगर कहीं डाले नहीं गये ) ,
खुदी मिट्टी न केवल मंहगे दामों में बिक गई बल्कि उससे डबल
भ्रष्टाचार का खेल प्रधानमंत्री आवास योजना के मकानों में भराई करवाकर उसका डबल
बिल मिट्टी भराई का डालकर अलग से वसूला गया , ऐसे ऐसे हुये महा फर्जीवाड़े और भ्रष्टाचार और अरबों
रूपये के खाऊ हजम भ्रष्टाचार पर अगर कोई पर्दा डाल सकता है तो वह केवल दलित मेयर
ही डाल सकता है ।
जाहिर है कि मुरैना नगर निगम लोकल लेवल
की नहीं बल्कि उच्चस्तर की गहरी राजनीतिक चरागाह और शिकार है । जो यह भी साफ करता
है कि नगरीय निकायों के मेयर और अध्यक्षों के आरक्षण साफ नीयत से किये गये स्पष्ट
और पारदर्शी नहीं हैं और न इनमें फ्लोटिंग आरक्षण व्यवस्था का पालन ही किया गया है
।
यह भी साफ है कि मुरैना नगर निगम का
मेयर राज्य सरकार के और केन्द्र सरकार के नेताओं का गुलाम और रबर का ठप्पा होना ही
चाहिये वरना राज्य सरकार के नेताओं और केन्द्र सरकार के नेताओं को सीवर से लेकर
सड़कें और स्ट्रीट खिला पिला चुका और उन्हें पाल पोस कर बड़ा बना रहा नगर निगम
मुरैना ,
कहीं जनता के लिये साफ काम करने वाला सेवा करने वाला नगर निगम बनकर ,
मुरैना दमकता चमकता शहर बनकर केन्द्र और राज्य के तथाकथित बड़े
नेताओं को नंगा कर कलई नहीं उतार देगा । इसलिये मुरैना की जनता के लिये और नगरनिगम
के ईमानदार अधिकारीयों और कर्मचारीयों तथा
ठेकेदारों के लिये आलम ये है ''अब उस हाल में रहना लाजिम है ,जिस हाल में रहना मुश्किल है'' मुरैना की जनता मौन
रह कर बरसों से , सन 2015 से बिना
सड़कों का, बिना स्ट्रीट लाइटों का , खुदा
पड़ा शहर, धुल और गंदगी से लबरेज आवो हवा और पीने को मिल रहा
गंदा व दूषित पानी , मौन रह कर झेल रही है , आगे भी झेलेगी , नेताजी की स्वर्णिम चरागाह को झेलने
और रहने के लिये जो देते तो एक हाथ से हैं और वापस छीनते और लूटते हजार हाथों से
हैं ।
अरे आरक्षण की नौटंकी दिखाने की जरूरत
क्या थी ,
वैसे ही अपने आप ही घोषित कर देते कि ये ऐसे रिजर्व और वो वैसे
रिजर्व रहेगा , एक अधिनियम पारित कर देते कि अगले सौ साल तक
मुरैना नगर निगम दलित मेयर के लिये ही रिजर्व रहेगा ।
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