मकर राशि में हुये शनि गुरू इकठ्ठे दो धुर विरोधी गृह , शनि की राशि में एक साथ , शनि के घर में गुरू रहेंगें शनि के साथ, अतिचारी होकर
मकर राशि में हुये शनि गुरू इकठ्ठे दो धुर विरोधी गृह , शनि की राशि में एक साथ , शनि के घर में गुरू रहेंगें शनि के साथ, अतिचारी होकर
- नरेन्द्र सिंह तोमर ‘’आनन्द’’ , एडवोकेट एवं
सी ई ओ तथा प्रघान संपादक , ग्वालियर टाइम्स ग्रुप
परसों दिनांक 20 नवम्बर 2020 शुक्रवार को , गुरू जैसे बृहद प्रभावकारी गृह ने राशि परिवर्तन दोपहर करीब डेढ़ बजे किया और अब तक धनु राशि में गोचर कर रहे , चल रहे गुरू अब मकर राशि में आ चुके हैं ।
हालांकि धनु राशि गुरू की ही राशि है और धनु के स्वामी गुरू के ही घर में गुरू अभी तक निवास कर रहे थे । और कल से वे अब शनि की ही दूसरी राशि अर्थात मकर राशि में ( शनि के ही घर में ) अब रहने आ गये हैं । इस घर की खास बात यह है कि इस राशि मकर का स्वामी यानि इस घर का मालिक भी यहीं इसी घर में पहले से ही मौजूद है । गुरू को अब शनि के साथ शनि के घर में आगामी समय में फिलहाल रहना है ।
ज्योतिषीय परिकल्पना और आकलनों के मुताबिक शनि और गुरू एक दूसरे के धुर विरोधी ग्रह हैं । और दोनों में परस्पर विरोध और वैमनस्यता रहती है । गुरू एकदम से शनि के विपरीत गुण रखते हैं ।
इस सारे ग्रहीय परिवर्तन में कुछ आवश्यक गणित पर ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है , मसलन दोनों ग्रहों के अंश और प्रभाव के साथ दोनों ग्रहों की चालें , अस्वाभाविक चालें जैसे कि वक्री, अस्त, उदय और अतिचारी चालें आदि ।
पहले तो यह कि मकर राशि में शनि , अपने खुद के ही घर में बैठे हैं , और गुरू अपनी नियमित चाल चलते चलते शनि के घर आ पहुंचा है और वहां अब शनि के साथ ही उसे वक्त गुजारना है , शनि इस समय आज की तारीख तक नवजात अवस्था में हैं अर्थात नवजात शिशु जैसे हाल व अवस्था में हैं , मतलब शनि इस वक्त बेअसर हैं और अपना अच्छा बुरा कुछ भी असर या प्रभाव दिखाने की हालत में नहीं हैं ।
और गुरू ने तो कल ही अपना गोचर इसी घर में यानि मकर राशि में शुरू किया है । इसलिये स्वाभाविकत: और प्राकृतिक रूप से गुरू कल ही जनमे हैं और वे भी इस समय आज दिनांक को नवजात शिशु वाली अवस्था में हैं । इसलिये वे प्रभावहीन और बेअसर हैं ।
इन दो नवजातों के एक घर में होने और फिलहाल एक ही पलकी में झूलने का अर्थ भी जानना ज्योतिषीय दृष्टिकोण से परम आवश्यक है , इसके लिये दोनों ग्रहों की चालों और गतियों का अध्ययन परम लाजमी है ।
विशेष खगोलीय घटना :- भारतीय ज्योतिषीय पद्धति जिसे चान्द्र पंचांग कहा जाता है और चन्द्रमा की गति पर आधारित तिथ्यादि से निर्धारित होता है , के मुताबिक तथा भारतीय सौर सिद्धांत के भी मुताबिक , इसके साथ ही वर्तमान आधुनिक विज्ञान ( फिजिक्स एंड एस्ट्रोनोमिकल ) वैज्ञानिक अनुसंधान केन्द्रों के मुताबिक 21- 22 जून को सबसे बड़ा दिन और इनके बीच की रात साल भर में सबसे छोटी रात होती है , इसी प्रकार 21 -22 दिसम्बर को सबसे छोटा दिन और इनके बीच की रात साल भर की सबसे बड़ी रात होती है ।
इसी 21 -22 दिसम्बर 2020 को इस साल यह दोनों नवजात ग्रह शनि और गुरू मकर राशि में एक साथ , एकदम समान अंशों पर आयेंगें । संयोगवश यह एक विचित्र स्थिति इन दोनों ग्रहों की उसी वक्त घटित होगी जब दिनमान और रात्रिमान में सालाना बदलाव हो रहा होगा । और इस दिन ही यह दोनों ग्रहों नवजात अवस्था से किशोर अवस्था की ओर बढ़ने से पहले एक ही समान अंश पर होंगें और एक दूसरे के साथ होगें एक ही राशि या एक ही घर में ।
ज्योतिष में समान अंश पर एक ही राशि में ग्रह होने पर उन ग्रहों की अमावस बन जाती है, अर्थात स्पष्ट है कि शनि और गुरू की पारस्परिक इस दिन अमावस बन जायेगी । कुल मिलाकर शनि और गुरू प्रभावित लोगों या इन दोनों से प्रभावित प्रकृति में उपलब्ध चीजों के लिये यह समय अमावस का समय होगा , जिसका अर्थ है कि होगा तो सब कुछ उपलब्ध , मगर दिखेगा नहीं । नजर नहीं आयेगा , न तो मार्ग और न मंजिल , कुछ भी नजर नहीं आयेगा ।
इस सब में गुरू की चाल स्पष्ट हो जाती है कि चंद रोज में गुरू का शनि को अमावस दे देने का अर्थ है कि गुरू की चाल अतिचारी रहेगी और गुरू का मकर राशि में गोचर प्रचंड गति से चलेगा , अतिचारी गुरू की चाल इतनी तेज होगी कि आज शून्य अंश पर चल रहे गुरू , एकदम से ही 05 अप्रेल 2021 को अर्थात महज चार साढ़े चार महीने में ही राशि बदल देंगें और शनि की ही दूसरी राशि कुम्भ राशि में यानि शनि के दूसरे घर में , प्रवेश कर जायेंगें । गुरू की इस दरम्यान अर्थात 05 अप्रेल तक की अतिचारी चाल काफी अर्थ रखती है और शनि के साथ चलते , शनि उस वक्त जब गुरू राशि बदलेंगें 05 अप्रेल को अपनी पूरी युवा अवस्था में 16- 17 अंश पर होगा ।
शनि और गुरू के इन अंशों और चालों के अनेक अर्थ और मायने हैं , शनि 07 जनवरी 2021 को अस्त होंगें और 09 फरवरी को उदित होंगें । शनि इस समय होशोहवास में किशोरावस्था में होंगें ।
इन ग्रहों के एक राशि में गोचर करने और अतिचारी गुरू के कारण राजनैति उथलपुथल और क्या क्या घटनाक्रम घटेंगे , आप पर सीधे सीधे इसका क्या असर पड़ेगा , इसकी व्याख्या और विश्लेषण -: -
( शेष भाग कल के अंक में जारी रहेगा ........... ... )
Narendra Singh Tomar “Anand”
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